***नमस्कार मित्रों****
आज मैं पुनः हाजिर हूं ब्लौग प्रसारण के एक और अंक के साथ... उमीद है आप मेरे द्वारा चयनित सभी लिंकों को अपना स्नेह देंगे...
इस विश्वास के साथ पेश है आप के प्यारे लिंकों से सजा प्सारण...
अपने मां बाप के लिये
कुछ नहीं कर पाते हैं
इसलिये मरने के बाद
उनकी इच्छाओं को पूरा
जरूर करना चाहते हैं
रचनेवाला ही जानता है, वो किसे, किसलिए रचता है
किसे मिलेगा ताप सतत, और किसे मिले सद शीतलता
किसका कैसा रूप, क्या कर्म, तय वही सभी का करता है
अतः मैं अबतक ज्ञात उन पोस्टों का लिंक यहाँ लगा रहा हूँ जो इस सेमिनार के बारे में लिखी गयी हैं। जो छूट गयी हैं या आगे आने वाली हैं उनका लिंक टिप्पणियों
के माध्यम से दीजिए। क्रमशः उन्हें जोड़ता जाऊँगा और भविष्य के पाठकों के लिए सारा मसाला एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाएगा
रिश्ते बहुत गहरे होने होते हैं
उकता जाने के लिए
पढ़ता हूँ हर बार बस उड़ती निगाह से …
कि कहीं बासी न पड़ जाए
गुजरे लम्हे डरा रहे हैं
रात के काले साये बनकर
धड़कनों पे पहरा है कोई
मौन हैं जज़्बात दिल के
अम्मा के जेवर तो पहले से ही, गिरवी रक्खे थे !
स्वर्ण फूल दोनों बहनों ने,चुप्पा चुप्पा बाँट लिए
सब चिंतित थे उनके हिस्से में जाने क्या आयेगा
अम्मा के मैके से आये,गणपति बप्पा बाँट लिए
लेकर आया हूँ प्रीत अमिट रंग,भरके अपनी झोली में
आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में
परसा फ़ूला नीम भी बौराया
भंग रंग भंगीला मौसम आया
पूछो मत हाल कैसे हैं यारों वहां के ।।
कहीं पर घोटाला, कहीं पर हवाला।
निकालेंगे ये मुल्क का अब दिवाला ।।
आज से 15 साल पहले स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) के दो छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन (Larry Page and Sergey Brin) ने साथ मिलकर एक कंपनी
शुरू की जो आज विश्व की शीर्ष कम्पनियों की लिस्ट में है। आज हर कोई गूगल को जानता है, इसकी सर्विस विश्वस्तरीय हैं, केवल जीमेल पर एकाउन्ट बनाकर एक ही
ईमेल आईडी से गूगल की 15 से भी ज्यादा सेवाओं (services) को लाभ (benefit ) उठा सकते हैं
माँ से बड़ा न स्वर्ग ,उसे दुख कभी न देना
मिट जाते दुख-दर्द , पास में माँ के जा के
ममता के ही फूल ,मिलें आंचल में माँ के
कहाँ तक इनके गुण गिनवाएं ख्याति हर दिन बढती जाए
बच्चों को सुख का अहसास रहेगा
आज बस इतना ही... मिलते रहेंगे
धन्यवाद...
आज मैं पुनः हाजिर हूं ब्लौग प्रसारण के एक और अंक के साथ... उमीद है आप मेरे द्वारा चयनित सभी लिंकों को अपना स्नेह देंगे...
इस विश्वास के साथ पेश है आप के प्यारे लिंकों से सजा प्सारण...
अपने मां बाप के लिये
कुछ नहीं कर पाते हैं
इसलिये मरने के बाद
उनकी इच्छाओं को पूरा
जरूर करना चाहते हैं
रचनेवाला ही जानता है, वो किसे, किसलिए रचता है
किसे मिलेगा ताप सतत, और किसे मिले सद शीतलता
किसका कैसा रूप, क्या कर्म, तय वही सभी का करता है
अतः मैं अबतक ज्ञात उन पोस्टों का लिंक यहाँ लगा रहा हूँ जो इस सेमिनार के बारे में लिखी गयी हैं। जो छूट गयी हैं या आगे आने वाली हैं उनका लिंक टिप्पणियों
के माध्यम से दीजिए। क्रमशः उन्हें जोड़ता जाऊँगा और भविष्य के पाठकों के लिए सारा मसाला एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाएगा
रिश्ते बहुत गहरे होने होते हैं
उकता जाने के लिए
पढ़ता हूँ हर बार बस उड़ती निगाह से …
कि कहीं बासी न पड़ जाए
गुजरे लम्हे डरा रहे हैं
रात के काले साये बनकर
धड़कनों पे पहरा है कोई
मौन हैं जज़्बात दिल के
अम्मा के जेवर तो पहले से ही, गिरवी रक्खे थे !
स्वर्ण फूल दोनों बहनों ने,चुप्पा चुप्पा बाँट लिए
सब चिंतित थे उनके हिस्से में जाने क्या आयेगा
अम्मा के मैके से आये,गणपति बप्पा बाँट लिए
लेकर आया हूँ प्रीत अमिट रंग,भरके अपनी झोली में
आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में
परसा फ़ूला नीम भी बौराया
भंग रंग भंगीला मौसम आया
पूछो मत हाल कैसे हैं यारों वहां के ।।
कहीं पर घोटाला, कहीं पर हवाला।
निकालेंगे ये मुल्क का अब दिवाला ।।
आज से 15 साल पहले स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) के दो छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन (Larry Page and Sergey Brin) ने साथ मिलकर एक कंपनी
शुरू की जो आज विश्व की शीर्ष कम्पनियों की लिस्ट में है। आज हर कोई गूगल को जानता है, इसकी सर्विस विश्वस्तरीय हैं, केवल जीमेल पर एकाउन्ट बनाकर एक ही
ईमेल आईडी से गूगल की 15 से भी ज्यादा सेवाओं (services) को लाभ (benefit ) उठा सकते हैं
माँ से बड़ा न स्वर्ग ,उसे दुख कभी न देना
मिट जाते दुख-दर्द , पास में माँ के जा के
ममता के ही फूल ,मिलें आंचल में माँ के
कहाँ तक इनके गुण गिनवाएं ख्याति हर दिन बढती जाए
बच्चों को सुख का अहसास रहेगा
आज बस इतना ही... मिलते रहेंगे
धन्यवाद...
पर्याप्त लिंक्स आज के लिए |उम्दा लिंक्स का पहुँच मार्ग बहुत अच्छा लगता है |
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा : उनको ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते -- हिन्दी ब्लागर्स चौपाल चर्चा : अंक-011
ललित वाणी पर : इक नई दुनिया बनानी है अभी
सुन्दर प्रसारण. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteब्लाग प्रसारण का एक और सुंदर अंक संयोजन
ReplyDeleteउल्लूक की रचना
"जो भूत से डरता है पक्का श्राद्ध करता है"
को स्थान देने के लिये आभार !
बहुत सुन्दर सूत्र संकलन, हार्दिक आभार आपका।
ReplyDeleteसच कहा है, शब्दों से तो द्वितीय निर्माण व्यक्त होता है
ReplyDeleteबेहद सुन्दर सूत्र अच्छी चर्चा . आभार
ReplyDeleteबेहद सुन्दर लिंक संयोजन
ReplyDeleteआदरणीय कुलदीप भाई जी बेहद सुन्दर ब्लॉग प्रसारण हेतु हार्दिक आभार आपका.
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