सभी मित्रों को नमस्कार!
साहित्य के अथाह सागर में से कुछ मोती चुनकर लाना अत्यन्त दुष्कर कार्य है। समझ नहीं आता किसे चुनें और किसे छोड़ें। इस बार मैं अपने पसंद के कुछ नए पुराने लिंक्स लेकर आपके सामने हाजिर हुआ हूं। देखिए, इनमें आपको कितने पसंद आते हैं।
-------------------------------------------------------------------
Annapurna Bajpai
आकंठ डूबे हुये हो क्यों,
अज्ञान तिमिर गहराता है।
ये तेरा ये मेरा क्यों ,
दिन ढलता जाता है।
-------------------------------------------------------------------
जवाहर
--------------------------------------------------------------------
रश्मि शर्मा
उदासी की सातवीं किस्त * * * *
लगातार तनाव और उदासी से यूं लग रहा है जैसे रक्त-शिराएं फट पडेंगी.....इतनी बेचैनी...इतनी उदासी.......
--------------------------------------------------------------------
Arun Kumar Nigam
--------------------------------------------------------------------
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।
मम्मी की आँखों का तारा।।
--------------------------------------------------------------------
Vijay Nikore
-------------------------------------------------------------------
Vandana Tiwari
संवेदना के शुष्क तरु सानिध्य में,
पुष्प प्रीति के,
ढूंढे जा रहे हैं आज।
-------------------------------------------------------------------
सौरभ
--------------------------------------------------------------------
Kailash Sharma
जो भी मिला जीवन में
चढ़ाये था एक मुखौटा अपने चेहरे पर,
चढ़ाये था एक मुखौटा अपने चेहरे पर,
हो गया मज़बूर मैं भी
--------------------------------------------------------------------
बशीर बद्र...:
कोई काँटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
----------------------------------------------------------------
तो अब आज्ञा दीजिए................
नमस्कार!