नमस्कार मित्रों,
आज के इस १२८ वें अंक में आप सभी का मैं राजेंद्र कुमार आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। एक बार फिर मैं अपनी पसंद के कुछ चुनिंदा लिंक्स लेकर आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूं।आशा है आप सब पहले की ही तरह अपना स्नेह बनाये रखेंगे,तो आइये एक नजर डालते है आज के प्रसारण की तरफ...
सत्तइसा के पूत पर, पढ़ते मियाँ मिलाद
रविकर जी
टोपी बुर्के कीमती, सियासती उन्माद |
सत्तइसा के पूत पर, पढ़ते मियाँ मिलाद |
पढ़ते मियाँ मिलाद, तिजारत हो वोटों की |
ढूँढे टोटीदार, जरुरत कुछ लोटों की |
रविकर ऐसा देख, पार्टियां वो ही कोपी |
अब तक उल्लू सीध, करे पहना जो टोपी |
सत्तइसा के पूत पर, पढ़ते मियाँ मिलाद |
पढ़ते मियाँ मिलाद, तिजारत हो वोटों की |
ढूँढे टोटीदार, जरुरत कुछ लोटों की |
रविकर ऐसा देख, पार्टियां वो ही कोपी |
अब तक उल्लू सीध, करे पहना जो टोपी |
न्यायपालिका के पंख कुतरने की कोशिश
श्यामल सुमन
"यह आरोप मेरी बढ़ती लोकप्रियता के कारण विरोधियों ने साजिश के तहत लगाया है" - "मुझे भारत की न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है" - आदि आदि ---पिछले २-३ दशकों से आरोपी रहनुमाओं के ऐसे खोखले बयान सुन सुनकर हम सभी आजिज हो गए हैं।
कहने को साँसें चलतीं पर जीवन है लाचार यहाँ
सत्ता की सारी मनमानी क्यों करते स्वीकार यहाँ
श्यामल सुमन
"यह आरोप मेरी बढ़ती लोकप्रियता के कारण विरोधियों ने साजिश के तहत लगाया है" - "मुझे भारत की न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है" - आदि आदि ---पिछले २-३ दशकों से आरोपी रहनुमाओं के ऐसे खोखले बयान सुन सुनकर हम सभी आजिज हो गए हैं।
कहने को साँसें चलतीं पर जीवन है लाचार यहाँ
सत्ता की सारी मनमानी क्यों करते स्वीकार यहाँ
उद्देश्य ब्लोगिंग का
सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना
सन २००५ में पहली बार अपना ब्लोगर अकाउंट बनाया था , मगर पहली पोस्ट २४ मई २००८ को प्रकाशित की गयी जब.…
छाँव इन्हीं की सारे तीरथ.....
अरुण कुमार निगम
आल्हा छंद (16 और 15 मात्राओं पर यति. अंत में गुरु-लघु)
बीते कल ने आने वाले , कल का थामा झुक कर हाथ
और कहा कानों में चुपके , चलना सदा समय के साथ ||
अरुण कुमार निगम
आल्हा छंद (16 और 15 मात्राओं पर यति. अंत में गुरु-लघु)
बीते कल ने आने वाले , कल का थामा झुक कर हाथ
और कहा कानों में चुपके , चलना सदा समय के साथ ||
ख्वाहिश.....
पूनम
नज़र की ख्वाहिश का दिल बीमार था रोता रहा..
रात भर आँखों से .... तेरा इंतजार होता रहा..!!
पूनम
रात भर आँखों से .... तेरा इंतजार होता रहा..!!
bitiya
Kuldeep Dingh
आ गयी घर में एक नन्ही सी कली,
जिसकी मुस्कान की खुशियाँ इस दिल में हैं पली,
वो निभाएगी दायित्व और सर फख्र से ऊँचा होगा,
जिस अरमान को उसके आगमन पे सींचा होगा,
जिसकी मुस्कान की खुशियाँ इस दिल में हैं पली,
वो निभाएगी दायित्व और सर फख्र से ऊँचा होगा,
जिस अरमान को उसके आगमन पे सींचा होगा,
खाली हुआ जो वही भरा
अनिता
निर्मलता शांति को प्रकट करती है. आकाश यदि घनमालाओं से आवृत हो तो इतना विशाल प्रतीत नहीं होता, शुभ्र गगन अनंत शांति को प्रकट करता है. उसी तरह चिदाकाश भी जब वृत्तियों से रहित होता है तो निर्मलता को प्रकट करता है
अनिता
निर्मलता शांति को प्रकट करती है. आकाश यदि घनमालाओं से आवृत हो तो इतना विशाल प्रतीत नहीं होता, शुभ्र गगन अनंत शांति को प्रकट करता है. उसी तरह चिदाकाश भी जब वृत्तियों से रहित होता है तो निर्मलता को प्रकट करता है
आर. अनुराधा
स्तन कैंसर स्तन में शुरू होता है। जब तक यह स्तन तक सीमित है, इससे मरने का अंदेशा नहीं है।
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आमिर दुबई
डियर रीडर्स , आज मै आपको बताता हूँ की आप टोरेंट फाइल को किस तरह इंटरनेट डाऊनलोड मेनेजर में डाऊनलोड कर सकते हैं। अच्छी तरह से आप इसका तरीका समझ लें ,ताकि आप आसानी से टोरेंट फाइल को
आमिर दुबई
डियर रीडर्स , आज मै आपको बताता हूँ की आप टोरेंट फाइल को किस तरह इंटरनेट डाऊनलोड मेनेजर में डाऊनलोड कर सकते हैं। अच्छी तरह से आप इसका तरीका समझ लें ,ताकि आप आसानी से टोरेंट फाइल को
विंडोज 7 में कैलकुलेटर का उपयोग कैसे करें
Abhimanyu Bhardwaj
Windows के भीतर calculator बहुत ही महत्वपूर्ण features है,
Abhimanyu Bhardwaj
Windows के भीतर calculator बहुत ही महत्वपूर्ण features है,
विकेश कुमार बडोला
राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में एक बार फिर प्रधानमन्त्री ने यूपीए की अकर्मण्यता का ठीकरा पूरे देश पर फोड़ा। पता नहीं यह वार्षिक बैठक थी यह परिस्थितिजन्य। लेकिन जो भी है सार्वजनिक मंचों से प्रधानमन्त्री द्वारा जताई गईं देशव्यापी चिंताओं का उद्देश्य आखिर
राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में एक बार फिर प्रधानमन्त्री ने यूपीए की अकर्मण्यता का ठीकरा पूरे देश पर फोड़ा। पता नहीं यह वार्षिक बैठक थी यह परिस्थितिजन्य। लेकिन जो भी है सार्वजनिक मंचों से प्रधानमन्त्री द्वारा जताई गईं देशव्यापी चिंताओं का उद्देश्य आखिर
इन दिनों सतीश जी का लिखने का उत्साह देखकर कितना अच्छा लगता है न एक मन ने कहा , एक के बाद एक नायाब शेर लिख मार रहे है ! और ताऊ जी हर दुसरे दिन एक पोस्ट लिखने वाले पता नहीं इन दिनों कहाँ ग़ायब से हो गए है लगभग तीन हफ्ते से एक भी नई पोस्ट नहीं आयी उनकी !
आज के प्रसारण को यहीं पर विराम देते हैं,इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये,मिलते हैं फिर से एक नए उमंग के साथ अगले गुरुवार को कुछ नये चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ, आपका दिन मंगलमय हो ।
बहुत ही सुन्दर लिंक्स सजे हैं आज के प्रसारण में! आपका बहुत आभार!
ReplyDeleteसीमित संख्या में सभी पठनीय लिंक्स...आभार !!
ReplyDeleteसुन्दर सूत्रों का प्रसारण..
ReplyDeleteसुन्दर-पठनीय संकलन - कुछ महत्वपूर्ण चिट्ठों का
ReplyDelete
ReplyDeleteबड़े - बुजुर्गों के साये में , शैशव पाता है संस्कार
जो आया की गोद पला हो , वह क्या जाने लाड़-दुलार ||
आनंद क्या परमानंद की धार बहा दी आपने।
हमारे समय का यह एक बड़ा विद्रूप है।
आभार भाई जी-
ReplyDeleteसुन्दर प्रसारण
बहुत सुन्दर सूत्र संकलन राजेन्द्र जी,
ReplyDeleteमेरी रचना को शामील करने के लिए आभार आपका !
बेजोड़ प्रस्तुतिकरण आदरणीय प्रिय मित्रवर आपका श्रम सराहनीय है खूबसूरत अंदाज में आज का प्रसारण बेहद सुन्दर एवं पठनीय सूत्रों से सुसज्जित है हार्दिक आभार आपका.
ReplyDeleteमेरी रचना को शामील करने के लिए आभार आपका !
ReplyDeleteसुन्दर लिंक संयोजन, आभार।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद राजेंद्र जी ...
ReplyDeleteसुंदर लिंकों का प्रसारण ! आभार
ReplyDeleteनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
बहुत सुंदर लिंक्स .
ReplyDeleteनई पोस्ट : एक जादुई खिलौना : रुबिक क्यूब