नमस्कार , मैं नीरज कुमार नीर उपस्थित
हूँ ब्लॉग प्रसारण के सोमवारीय अंक के साथ. आप सभी को विजयादशमी की
हार्दिक शुभकामनायें . आइये इस अवसर पर प्रार्थना करें कि समाज में
सर्वत्र फैले बाहर से एक और अन्दर से सैकड़ों सरों वाले रावणों का अंत
हो . हम सब अपने अन्दर के रावण को भी पहचाने और उससे मुक्ति का साधन
करें
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शायद तुमसे पहले जग में, सूरज नहीं उगा करता था
कितनी बार,करवटें लेकर, सारी रात जगा करता था !
जो विश्वस्त रहा जीवन में,अक्सर वही दगा करता था !
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"आँचल में है दूध और |
रावण मेरे गाँव काआज मरने आ खड़ा है रावण मेरे गाँव कालम्बा तगड़ा हट्ठा कट्टा रावण मेरे गाँव का |
एक जबाब माँगा था.मैंने तुमसे कब, प्यार का हिसाब माँगा था ,सारे सवालों का, सिर्फ एक जबाब माँगा था i |
दशहरे का मेला, रामलीला और दुर्गापूजा |
हाँ में जनता हूँ उसे |
रावण जलता नहीं |
धीरे धीरे निजाम बदलेगाधीरे धीरे निजाम बदलेगाखास बदलेगा आम बदलेगाहोते होते तमाम बदलेगा ।धीरे धीरे निजाम बदलेगा । |
FACEBOOK पर फेक अकाउंट |
और इसी के साथ मुझे अपने मित्र नीरज कुमार 'नीर' को दीजिये इजाजत , फिर मुलाकात होगी अगले सोमवार को .. धन्यवाद |
ब्लॉग प्रसारण पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!!!
ब्लॉग प्रसारण का उद्देश्य पाठकों तक विभिन्न प्रकार की रचनाएँ पहुँचाना एवं रचनाकारों से परिचय करवाना है. किसी प्रकार की समस्या एवं सुझाव के लिए इस पते पर लिखें. blogprasaran@gmail.com
Monday, October 14, 2013
ब्लॉग प्रसारण : सोमवारीय अंक
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