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Sunday, June 2, 2013

ब्लॉग प्रसारण अंक : 14

सुप्रभात दोस्तों , लीजिए फिर आ गई रविवार की अलसाई भोर साथ लिए ब्लॉग प्रसारण की एक और ताजातरीन पोस्ट .. जिसमें कुछ चुने हुए लिंक्स आपके लिए लेकर आई हूँ मैं - शालिनी
ज्योति खरे
अरुण शर्मा 'अनंत'
निर्मला खडका
 
कैलाश शर्मा
अभय श्रीवास्तव
मास्टर्स टेक टिप्स
आमिर अली
शालिनी कौशिक
शांति पुरोहित
जिस्म से रूह एक दिन निकल जायगी ,
बन रूह दिल में धड़कती रहो
ख़ाक हो भी गया तो क्या ,
लौट आऊँगा फ़िर ,
दिये मकबरे पर जलाती रहो
अज़ीज़ जौनपुरी
यात्रा संस्मरण
नीरज कुमार ‘जाट
 
जिंदगी की राहें
मुकेश कुमार सिन्हा
और अब अंत में
साहित्यकार व शायर परिचय में
 
अशोक खाचर
इसी के साथ अब मुझे विदा दीजिए ... अगले सप्ताह इसी दिन फिर मुलाकात होगी

15 comments:

  1. बहुत सुंदर लिंक्स उम्दा प्रस्तुति ,,,

    RECENT POST : ऐसी गजल गाता नही,

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  2. बहुत सुन्दर लिंक्स सजे हैं आज के प्रसारण में! बधाई व आभार!

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  3. बहुत सुन्दर लिंक्स

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  4. आदरणीया शालिनी जी आपका श्रम सराहनीय है सुन्दर लिंक्स संयोजित किये हैं आज के प्रसारण में हार्दिक आभार आपका.

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  5. bhot sundar links hai........or muje shmil karne ke liye sukhriya aapka

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  6. बहुत बढिया लिंक्स, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  7. बेहतरीन लिंक्स से सजा है आज का प्रसारण .... बधाई शालिनी जी ...

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  8. बहुत सुंदर लिंक्स सजा हुआ है प्रसारण।
    आज फुरसत भी है, चलता हूं लिंक्स पर

    नोट : आमतौर पर मैं अपने लेख पढ़ने के लिए आग्रह नहीं करता हूं, लेकिन आज इसलिए कर रहा हूं, ये बात आपको जाननी चाहिए। मेरे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए । धोनी पर क्यों खामोश है मीडिया !
    लिंक: http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/blog-post.html?showComment=1370150129478#c4868065043474768765

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  9. @ निगाहों में भर ले........

    प्यार-मोहब्बत के साथ धंधे की बात भी हो जाये....

    हुनरमंद प्रेमी का
    थोड़ा हुनर ले
    आसान किश्तों में
    बढ़िया सा घर ले

    प्रेमाभिव्यक्ति पर प्यारी सी गज़ल के लिए बधाई..........

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  10. तपती गरमी जेठ मास में अनायास ही मिल जाना, सौंदर्य-बोध के साथ ही प्रेमांगन में बेला का महक जाना, कोलतार की पिघलती हुई सड़कें और सुबह-सुबह की स्मृतियों ने प्रमाणित कर दिया है कि मन में प्रेम हो तो हर मौसम सुहावना प्रतीत होता है. आदरणीय ज्योति खरे जी , बहुत बहुत बधाई........

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  11. दर्द हो भी शबनम गिरती नहीं आँखों से
    पलकों में रुके अश्को की सराफत खुब है ।

    सभी अश'आर दिल को छू लेने वाले हैं. इस शानदार गज़ल के लिए दिली बधाई स्वीकार कीजिये. कृपया खुब को खूब कर लें.

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  12. आदरणीय कैलाश शर्मा जी , आपके बाल-गीतों में सदैव एक सार्थक संदेश होता है. सचमुच ही मनन करने का विषय है कि हम जैसा बोयेंगे, वैसी ही फसल पायेंगे. वर्तमान में बचपन अपनी स्वाभाविकता खोता जा रहा है. हम ही उन्हें प्रकृति से दूर करते जा रहे हैं.सहज बाल-क्रीड़ा की आयु में भारी-भरकम बस्तों के बोझ तले उनके बचपन को दबाते चले जा रहे हैं. प्रस्तुत कविता महज बाल-गीत ही नहीं है, यह वास्तव में बड़ों के लिये एक विचारणीय प्रश्न है.मनन करें, सही राह स्वयम् दिखाई देगी.

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  13. आदरेया शिखा जी, विचारणीय सटीक आलेख..

    "शादी करके फँस गया" , विषय बड़ा ही गूढ़
    माँ - बीबी के बीच में , किंकर्तव्यविमूढ़
    किंकर्तव्यविमूढ़ , इधर बहना औ' भाई
    साली - साला उधर , फँसा बन बीच जमाई
    "तेरा - मेरा" भाव , सदा लाता बरबादी
    सबको अपना मान , यही सिखलावे शादी ||

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  14. वाह ...एक से बढ़कर एक लिंक्स
    आनंद आ गया

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  15. वाह क्या सुंदर लिंक्स को संजोया है
    एक से बढ़कर एक रचनायें
    सभी रचनाकारों को बधाई
    शानदार संयोजन के लिये साधुवाद

    मुझे सम्मलित करने का आभार

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