नमस्कार मित्रों,
आज के इस १३५ वें अंक में आप सभी का मैं राजेंद्र कुमार आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। एक बार फिर मैं आपके ब्लोगों के कुछ चुनिंदा लिंक्स लेकर आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूं।आशा है आप सब पहले की ही तरह अपना स्नेह बनाये रखेंगे,तो आइये एक नजर डालते है आज के प्रसारण की तरफ एक शेर के साथ...
अगर सफ़र में मेरे साथ मेरे यार चले,
तवाफ़ करता हुआ मौसमे-बहार चले।
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
आवाज निकलने की देरी थी,
कोटि-कोटि जन आते थे ।
*
महात्मा गांधी जी के पुकार से,
सब भारत माँ पे मर-मिट जाते थे ॥
कोटि-कोटि जन आते थे ।
*
महात्मा गांधी जी के पुकार से,
सब भारत माँ पे मर-मिट जाते थे ॥
सुनहरे ख्वाबों ने पकड़ बनाई है...
ऋता शेखर मधु
आज डालियाँ फिर झूम के लहराई हैं
खुश्बू-ए- उल्फत फिजा में छाई है
रब ने कुबूल कर ली दुआ उसकी
सुनहरे ख्वाबों ने पकड़ बनाई है
ऋता शेखर मधु
आज डालियाँ फिर झूम के लहराई हैं
खुश्बू-ए- उल्फत फिजा में छाई है
रब ने कुबूल कर ली दुआ उसकी
सुनहरे ख्वाबों ने पकड़ बनाई है
''लाल बहादुर शास्त्री जी'' को नमन है"
अभिषेक कुमार झा अभी
अभिषेक कुमार झा अभी
भारत माँ के सच्चे, लाल लाल लाल ने,
अपनी बहादुरी से, किया माला माल है।
*
वीर योद्धा बन, जिनगी जिसने जीता है,
वक़्त के साथ,जिसने चलना सिखाया है।
संकल्प (दुर्मिल सवैया ( 8 सगण l l S)
अरुण कुमार निगम
सृजन मंच ऑनलाइन पर
अरुण कुमार निगम
सृजन मंच ऑनलाइन पर
अधिकार मिले अति भाग खिले, नहिं दम्भ दिखे प्रण आज करो
करना नहिं शासन ताकत से , दिल पे दिल से बस राज करो
कब कौन कहाँ बिछड़े बिसरे , लघु कौन यहाँ ,गुरु कौन यहाँ
उसकी फुँकनी सुर साज रही , वरना हर साज त मौन यहाँ ||
श्रीमदभगवद गीता अध्याय चार :श्लोक (२१-२४)
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
निराशीर यतचित्तात्मा ,त्यक्तसर्वपरिग्रह :
शारीरं केवलम कर्म ,कुर्वन नाप्नोति किल्बिषम।
शारीरं केवलम कर्म ,कुर्वन नाप्नोति किल्बिषम।
जो आशा रहित है ,जिसके मन और इन्द्रियाँ वश में हैं ,जिसने सब प्रकार के स्वामित्व का परित्याग कर दिया है ,ऐसा मनुष्य शरीर से कर्म करता हुआ भी पाप (अर्थात कर्म के बंधन )को प्राप्त नहीं होता है।
वो मिल जाता है अपने अशआर में
यशोदा अग्रवाल
सम्हालो मुझे अब भी घर-बार में
कहीं दिल न लग जाय बाज़ार में
यशोदा अग्रवाल
सम्हालो मुझे अब भी घर-बार में
कहीं दिल न लग जाय बाज़ार में
प्रधानमंत्री जी बस एक बार अंदर झांकिए !
महेन्द्र श्रीवास्तव
आज बात की शुरूआत चटपटे नेता लालू यादव से। चारा घोटाले में आरोप सिद्ध हो जाने के बाद लालू यादव जेल चले गए। 17 साल से ये मामला न्यायालय में विचाराधीन था।
महेन्द्र श्रीवास्तव
आज बात की शुरूआत चटपटे नेता लालू यादव से। चारा घोटाले में आरोप सिद्ध हो जाने के बाद लालू यादव जेल चले गए। 17 साल से ये मामला न्यायालय में विचाराधीन था।
हमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनियां में
सतीश सक्सेना
"शायद पूरी दुनिया में एक हमारा ही देश होगा जहाँ हजारों साल से एक ही धंधा चलता है बाबाओं का प्रवचन देना और लोगों का सुनना, सबसे ज्यादा सुनने वालों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है और महिलाओं को ही इन बाबाओं ने निन्दित किया है पता नहीं कैसे सुन लेती होंगी . . . ."
सतीश सक्सेना
"शायद पूरी दुनिया में एक हमारा ही देश होगा जहाँ हजारों साल से एक ही धंधा चलता है बाबाओं का प्रवचन देना और लोगों का सुनना, सबसे ज्यादा सुनने वालों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है और महिलाओं को ही इन बाबाओं ने निन्दित किया है पता नहीं कैसे सुन लेती होंगी . . . ."
Install All Software at one time
आमिर दुबई
डियर रीडर्स, जब आप अपने कंप्यूटर की विंडो चेंज करते हैं ,तो उसके बाद कंप्यूटर ड्राइवर्स डालते हैं ,और उसके बाद एक एक करके अपने जरुरत के सभी सोफ्टवेयर को डालते हैं। उनमे से कुछ तो हमारे पास पहले से होते हैं ,और कुछ को डाऊनलोड करना पड़ता है। आज मै आपको एक ऐसी वेबसाइट बता रहा हूँ ,जहाँ आपको ….
आमिर दुबई
डियर रीडर्स, जब आप अपने कंप्यूटर की विंडो चेंज करते हैं ,तो उसके बाद कंप्यूटर ड्राइवर्स डालते हैं ,और उसके बाद एक एक करके अपने जरुरत के सभी सोफ्टवेयर को डालते हैं। उनमे से कुछ तो हमारे पास पहले से होते हैं ,और कुछ को डाऊनलोड करना पड़ता है। आज मै आपको एक ऐसी वेबसाइट बता रहा हूँ ,जहाँ आपको ….
रक्षा-बंधन का उपहार -लघु कथा
शिखा कौशिक 'नूतन'
रक्षा बंधन के पावन पर्व पर किशोरी रक्षिता ने अपने बड़े भाई राघव की कलाई पर राखी बांधी और तिलक लगाकर आरती उतारी .मम्मी-पापा के साथ -साथ रक्षिता भी प्रतीक्षा करने लगी कि आज भैया क्या उपहार देंगें पर राघव ने अपनी कलाई पर बांधी गयी राखी को दुसरे हाथ की उँगलियों से हल्के से छूते हुए कहा -''
सुशील कुमार जोशी
कुछ किताबें पुरानी
अपने खुद के वजूद
के लिये संघर्षरत
पुस्तकालय में
कुछ पुराने चित्र
सरकारी संग्रहालय में
अपने खुद के वजूद
के लिये संघर्षरत
पुस्तकालय में
कुछ पुराने चित्र
सरकारी संग्रहालय में
शकुन्तला शर्मा
मोहनदास करमचंद गॉंधी यही था उनका पूरा नाम
हर घडी सोचते मातृभूमि पर कब होगा पूरा यह काम।
हर घडी सोचते मातृभूमि पर कब होगा पूरा यह काम।
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न तलवार न बरछी से ही बिन रक्तपात के हों आज़ाद
दास नहीं हम अँग्रेज़ों के सत्याग्रह से होंगे आबाद ।
न तलवार न बरछी से ही बिन रक्तपात के हों आज़ाद
दास नहीं हम अँग्रेज़ों के सत्याग्रह से होंगे आबाद ।
आज के प्रसारण को यहीं पर विराम देते हैं,इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये,मिलते हैं फिर से एक नए उमंग के साथ अगले गुरुवार को कुछ नये चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ, आपका दिन मंगलमय हो ।