नमस्कार मित्रों,
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मैं राजेंद्र कुमार आज के ब्लॉग प्रसारण पर आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। जैसा की इस मंच का उद्देश्य यह है की नये ब्लागरों को अन्य प्रतिष्ठित ब्लोगरों से परिचय कराया जायेगा, उनकी समस्यायों का समाधान किया जायेगा, हम भरपूर कोशिश करते हैं की नये ब्लोगरों के लिंक को सम्मिलित किया जाय। कुछ तो एक दो पोस्ट लिख गायब ही हो जाते है,कई ब्लोगर अभी तक कमेंट्स बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन भी नही हटा पाए है कितनी बार हमने कहा इसे हटा लीजिये और यदि किसी सहयोग की जरूरत हो तो सम्पर्क करें । परन्तु इन पर ध्यान ही नही देते, ऐसी परिस्थिति में प्रतिष्ठित ब्लोगरों के पोस्ट की चर्चा तो करनी ही होगी, इस पर कई ब्लोगर यह कमेंट्स करते है की आप सब इस मंच के उद्देश्य को भूल रहें है। अब आप सब ही बताये क्या करना चहिये। वार्तालाप तो होते ही रहेगी,चलते है बिना देर किये आज के प्रसारण की तरफ …
विजयलक्ष्मी संग अंजना
आज ढूंढ ली राह हमने भी खुदके भटकने से पहले |
उडी खुशबू महफिल में कुछ उनके बहकने से पहले |
आज ढूंढ ली राह हमने भी खुदके भटकने से पहले |
उडी खुशबू महफिल में कुछ उनके बहकने से पहले |
आर्यन कोठियाल
घर में जो मानुष मरे, बाहर देत जलाए,
आते हैं फिर घर में, औघट घाट नहाय,
औघट घाट नहाय, बाहर से मुर्दा लावें,
नून मिर्च घी डाल, उसे घर माहिं पकावें,रो
घर में जो मानुष मरे, बाहर देत जलाए,
आते हैं फिर घर में, औघट घाट नहाय,
औघट घाट नहाय, बाहर से मुर्दा लावें,
नून मिर्च घी डाल, उसे घर माहिं पकावें,रो
पितृ पक्ष दिवस
सरिता भाटिया
सरिता भाटिया
पितृ पक्ष का शाब्दिक अर्थ है "पूर्वजों के पखवाड़े"| इसे महालय पक्ष भी कहा जाता है |पिता-माता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात् उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं।
प्रकृति में दोपहर
विकेश कुमार बडोला
अश्विन मास की यह स्थिर सुन्दरता दृष्टि को भी स्थिर कर रही है। ग्रीष्म और शीत के प्रचण्ड प्रभाव से विरक्त यह प्रकृति सम-शीतोष्ण बनी हुई है।
विकेश कुमार बडोला
अश्विन मास की यह स्थिर सुन्दरता दृष्टि को भी स्थिर कर रही है। ग्रीष्म और शीत के प्रचण्ड प्रभाव से विरक्त यह प्रकृति सम-शीतोष्ण बनी हुई है।
ऑल इंडिया रेडियो ने लॉंच की फ्री मैसेज सर्विस
फार्रुक अब्बास
फार्रुक अब्बास
सूचना प्रधान आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति देश-विदेश की सभी जानकारियों से अवगत रहना चाहता है. स्पोर्ट्स, मनोरंजन, राजनीति, सामाजिक गतिविधियों की सूचना प्राप्त करने ……….
हुकुम रजाई चलिए
अनीता जी
अनीता जी
जब जीवन का लक्ष्य तय हो जाता है तो रास्ता मिलने लगता है, हमारे अंतर की सच्ची पुकार कभी भी अनसुनी नहीं रहती, परम पिता परमात्मा हमारे लिए वह सारे साधन जुटा देता है जो हमारे विकास के लिए आवश्यक हैं.
ना खुद को बाटो ..ना मुझको ...हम बॅट नही सकते..
अर्पणा खरे
तुमने उसे जाने ही क्यूँ दिया..उस पार
जो उसे लौटना पड़े..अब करो इंतेज़ार...
मनाओ उसके बिना, अपने वृत और त्योहार...
अर्पणा खरे
तुमने उसे जाने ही क्यूँ दिया..उस पार
जो उसे लौटना पड़े..अब करो इंतेज़ार...
मनाओ उसके बिना, अपने वृत और त्योहार...
फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो
ललित चाहर
फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो
महकाओ तन-मन सारा भावों को विमल कर
ललित चाहर
फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो
महकाओ तन-मन सारा भावों को विमल कर
मुझे तुम रहने दो यूँ ही मौन !
धीरेन्द्र अस्थाना
मुझे तुम
रहने दो
यूँ ही मौन !
कितने प्रश्न
हैं भीतर मेरे,
धीरेन्द्र अस्थाना
मुझे तुम
रहने दो
यूँ ही मौन !
कितने प्रश्न
हैं भीतर मेरे,
अंत में एक अनमोल वचन पर मनन करते हैं।
इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये मिलते हैं अगले गुरुवार को आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ।
शुभ विदा शुभ दिन।