नमस्कार मित्रों,
मैं राजेन्द्र कुमार आज शालिनी जी के इन्टरनेट व्यवधान के चलते आज कुछ महत्वपूर्ण लिंकों के साथ आपसे मुखातिब हूँ, कम समय में लिंकों का चयन किया गया है भूल चुक के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
मुसाफिर
वो एक वक्त था
जब उनके मन में थी एक आग
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अनुपमा पाठक
आँखों से ढ़लका
गालों तक आते आते
सूख गया...
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रमाकांत सिंह
अब अँधेरा होगा?
भोर हुई
और रवि की किरणों संग
तुमने सोच लिया
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अपर्णा त्रिपाठी
एक बार खता मैने भी की,
दिल किसी से लगाने की,
एक बार गुनाह हुआ हमसे
दिल किसी का चुराने का,
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वंदना सिंह
इतनी आसानी से गहराते नही हैं
चढ जायें तो उतारे जाते नही हैं
कुछ रंग जिन्दगी के कैनवस पर !
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गरिमा जी
पत्थरों के इस शहर में
किस से दिल लगाऊ
हर कोई लगाये है चहेरे
कोई नहीं लगता है अप
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अंजू जी
उनींदी आँखों में
सुरमई लकीर सा
बहकता ख्वाब
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रश्मि शर्मा
भरे-भरे थे तुम
और मैं एकदम खाली
जैसे रेतघड़ी हों हम
तुम्हें भरकर
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आमिर दुबई
डियर रीडर्स ,आपने भी कभी कभी अपने कंप्यूटर में Low Disk Space नामक नोटिफिकेशन देखा होगा। ये मेसेज उस समय दिखाई देता है ,जब आपके c या d ड्राइव टेम्परेरी फाइल्स से भर जाते हैं……।
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दर्शन
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स्वाति वल्लभा राज
कल की गुलामी अंग्रेजों की थी,
पर आज तो हम आजाद हैं ना?
डर,आरजकता,लोभ,स्वार्थ अब,
हर कोने में आबाद है|
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आशुतोष शुक्ला
क्या देश में अब शहीदों की गिनती और मान्यता सरकारी रिकॉर्ड के आधार पर ही की जाएगी क्योंकि जिस तरह से केन्द्रीय गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड में इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है कि अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव देश के लिए शहीद हुए थे तो .....
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आज के प्रसारण को यहीं पर विराम देते हैं,इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये,मिलते हैं फिर से एक नए उमंग के साथ अगले गुरुवार को हीं कुछ नये चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ।