नमस्कार मित्रों,
आज के इस 72 वें अंक में आप सभी का मैं राजेंद्र कुमार आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। एक बार फिर मैं अपनी पसंद के कुछ चुनिंदा लिंक्स लेकर आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूं।आशा है आप सब पहले की ही तरह अपना स्नेह बनाये रखेंगे,तो आइये एक नजर डालते है आज के प्रसारण की तरफ...
कालीपद प्रसाद जी
मुंबई में बारह रुपये ,दिल्ली में पांच रुपये
भर पेट खाना खाइए ,बब्बर-रसीद कहीन है।
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यशोदा अग्रवाल
लौटे नहीं हैं परदेस से साजन मेरे,
तुम थोड़ी जल्दी ही आ गए सावन मेरे|
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सन्नी चौहान
अगर आप किसी को कोई जरूरी मेल भेजते हैं तो हमेशा एक चिंता सताती रहती है कि उस व्यक्ति ने आपकी मेल पढ़ी भी है या नहीं खासकर तब जब मेल काफी जरूरी और अर्जेंट हो अगर किसी तरह ये पता लग जाये की मेल खोल ली गई है तो कुछ राहत होती है, मैं आपको आज इस चिंता का सलूशन दे रहा हूँ ………
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आशा जोगळेकर
स्वर्णिम प्रभात में धीरे धीरे घुलता अंधकार
पक्षियों का कलरव, गमले में खिलता गुलाब
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नारदमुनी जी
श्रीगंगानगर-अत्यधिक शोकाकुल कर देने वाला हादसा। पत्थर दिलों को पिघला देने वाली दुर्घटना। कई घंटे तक ना तो इस बात की पुख्ता जानकारी कि कितने बच्चे मरे ना और ना इस बात की कि घायलों की संख्या कितनी है। हर कोई बदहवास।
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रोहिताश कुमार
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प्रवीन पाण्डे जी
बचपन में किसी पाठ्यपुस्तक में पढ़ा था कि इंग्लैण्ड बड़ा ही विकसित देश है, और वह इसलिये भी क्योंकि वहाँ के टैक्सीवाले भी बड़े पढ़े लिखे होते हैं, अपना समय व्यर्थ नहीं करते और खाली समय से अखबार निकाल कर पढ़ा करते हैं। पता नहीं इंग्लैण्ड ने अखबार पढ़ पढ़कर अपने ज्ञान के कारण सारे विश्व पर राज्य किया, या अपनी सैन्यशक्ति के कारण, या अपनी धूर्तता के कारण।
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गौतम राजरिशी
हुश्श्श्श्श...घूमता पहिया समय का और देखते-ही-देखते पाँच साल हो गये ब्लोगिंग करते हुये...यू हू हू sss !!! तो "पाल ले इक रोग नादां..." की इस पाँचवीं सालगिरह पर सुनिये एक ग़ज़ल :-
इक ज़िद्दी-सा ठिठका लम्हा यादों के चौबारे में
अक्सर शोर मचाता है मन के सूने गलियारे में
आता-जाता हर कोई अब देखे मुझको मुड़-मुड़ कर
सूरत तेरी दिखने लगी क्या, तेरे इस बेचारे में ?
इक ज़िद्दी-सा ठिठका लम्हा यादों के चौबारे में
अक्सर शोर मचाता है मन के सूने गलियारे में
आता-जाता हर कोई अब देखे मुझको मुड़-मुड़ कर
सूरत तेरी दिखने लगी क्या, तेरे इस बेचारे में ?
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रिंकू सिवान
Doro PDF Writer एक बहुत उपयोगी सॉफ्टवेर है उन लोगो के लिए जो कंप्यूटर में हमेशा PDF फाइल बनाते हैं! इस Doro PDF Writer सॉफ्टवेर के द्वारा किसी भी फाइल को या टेक्स्ट को PDF के रूप में बदला जा सकता है!
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रमा अजय शर्मा
आज फूलो को भी पसीना आ गया
ऐसा क्या हुआ होगा
फूलो के ज़ज्बातो को कोई नहीं समझता
खुद ही रोते हैं और सुख जाने पर भी खुबू देते हैं
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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश
वृक्कों गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प उठता है।
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डॉ रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी
मन को बहुत लुभाने वाली,
तितली रानी कितनी सुन्दर।
भरा हुआ इसके पंखों में,
रंगों का है एक समन्दर।।
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डॉ मोनिका शर्मा
पीड़ा जब हिस्से आती है
एकाकी यात्रा नहीं करती
बहुत कुछ अनचाहा, अनपेक्षित
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Pramod Joshi
लोकसभा चुनाव समय पर हुए तब तक भी शायद तेलंगाना बन नहीं पाएगा. पहले हुए तो बात ही कुछ और है. इसलिए कांग्रेस ने इसका फैसला चुनाव के लिए किया है भी तो वह
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इस के साथ अब आज्ञा दीजिये फिर मिलेंगे अगले हफ्ते कुछ नये रचनाओं के लिंकों के साथ,तब तक के लिए विदा,आपका दिन मंगलमय हो।