सभी को नमस्कार!
आइए बिना समय गंवाए सीधे चलते हैं लिंक्स पर!
राम चरण डंडे से लगातार अपनी गाय को पीट रहा था और गाय थी कि टस से मस नहीं हो रही थी वो अपनी जगह ही खड़ी थी , उसकी आँखों से आँसू बह रहे ...
वह आया / अपने संग ... उसे भी ... लाया । अपने विशाल , बाजुओं में समेटे ... आसमान से चौड़े .. सीने से लपेटे ।
बैंक लॉकर में रख आया हूं - इज्ज़त, प्रेम, ईमान... बेशक़ीमती हर चीज़, बूढ़े बाबा सा संजोता हूं सब जायदाद. इन दिनों.
करती रहती हूं भरने की कोशिश शब्द-बूंदो से उम्मीद का घड़ा टप-टप टपकती आस की बूंदों को गिनती-सहेजती हैं दो आतुर निगाहें
जल से भर कर लाये छागल! उमड़-घुमड़ कर आये बादल!! कुछ भूरे कुछ श्वेत-श्याम हैं , लगते ये नयनाभिराम हैं
छोटी छोटी बातों पर अनायास ही अनचाहे मन मुटाव हो जाता है दुराव हो जाता है दूरी बढ़ जाती है हम तिलमिला जाते हैं
आइए बिना समय गंवाए सीधे चलते हैं लिंक्स पर!
राम चरण डंडे से लगातार अपनी गाय को पीट रहा था और गाय थी कि टस से मस नहीं हो रही थी वो अपनी जगह ही खड़ी थी , उसकी आँखों से आँसू बह रहे ...
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वह आया / अपने संग ... उसे भी ... लाया । अपने विशाल , बाजुओं में समेटे ... आसमान से चौड़े .. सीने से लपेटे ।
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बैंक लॉकर में रख आया हूं - इज्ज़त, प्रेम, ईमान... बेशक़ीमती हर चीज़, बूढ़े बाबा सा संजोता हूं सब जायदाद. इन दिनों.
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करती रहती हूं भरने की कोशिश शब्द-बूंदो से उम्मीद का घड़ा टप-टप टपकती आस की बूंदों को गिनती-सहेजती हैं दो आतुर निगाहें
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जल से भर कर लाये छागल! उमड़-घुमड़ कर आये बादल!! कुछ भूरे कुछ श्वेत-श्याम हैं , लगते ये नयनाभिराम हैं
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छोटी छोटी बातों पर अनायास ही अनचाहे मन मुटाव हो जाता है दुराव हो जाता है दूरी बढ़ जाती है हम तिलमिला जाते हैं
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आज इतना ही!
आज्ञा दीजिए!