"जय माता दी" अरुन
की ओर से आप सबको सादर प्रणाम . ब्लॉग प्रसारण में आप सभी का हार्दिक
स्वागत है
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Mukesh Kumar Sinha
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Garima Pandey
राजनीति का खेल निराला होता है
हर कोई इस खेल का खिलाडी होता है
हर कोई पांच साल का गेम में मस्त
विचार कैसे भी हो
मकसद एक ही है
कोई भी हो पार्टी
सब कर रहे देश को बर्बाद
लूट मार का हो रहा व्यापर
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Archana
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हरकीरत ' हीर'
तीखे दांतों से
काटती है रात ....
तेरे बिना जकड़ लेती है उदासी
बेकाबू से हो जाते हैं ख्याल
खिड़की से आती हवा
सीने में दबे अक्षरों का
पूछने लगती है अर्थ
बता मैं उसे कैसे बताऊँ
मुहब्बत की कोई सुनहरी सतर
रस्सियाँ तोड़ना चाहती है ....
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ज्योति-कलश
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धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
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सरिता भाटिया
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Vasundhara Pandey Nishi
जी करता है
तितली सी...
करील-करील उडती
आ जाउं तेरे पास
कण-कण भर लूँ..
तन -मन भर लूँ
सांसो में भर लूँ
पिया सांवरे
तेरे उड़ते पराग.. ..!!
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Rajendra Sharma
मौसम की गर्मी से ,मिली नहीं ऊष्मा है
पसीने से लथ पथ है, टूटा हुआ चश्मा है
हाथो में हंसिया है, महँगी हुई खुशिया है
मिली नहीं हल धर को ,सपनों की सुषमा है
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रश्मि शर्मा
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सुशील
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Pallavi saxena
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Mridula Harshvardhan
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इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये मिलते हैं अगले मंगलवार को आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ. शुभ विदा शुभ दिन. |
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Tuesday, June 11, 2013
ब्लॉग प्रसारण अंक - २२
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