"जय माता दी" अरुन की ओर से आप सबको सादर प्रणाम .राजेन्द्र जी के क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से इन्टरनेट की सुविधा स्थगित है इसीलिए उनकी जगह मैं उपस्थित हूँ आज के प्रसारण में. |
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सुशील जोशी
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ममता जोशी
मै भी पकड़ना चाहती हूँ उसे ..
दूर क्षितिज मे जैसे सूरज की किरणे करती हैं,
धरती को पकड़ने की कोशिश..
पर मेरी मजबूरी है ,
नहीं पकड़ पाती मै...
बस ये सोच कर खुश हूँ
की उसे छू तो लिया पूरा ,
भर दिया अपनी गर्माहट से..
भले ही शाम होते होते लौट जाउंगी मै भी,
अपना अस्तित्व समेट कर वापस चली जाउंगी,
उन किरणों की तरह......
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शोभना चौरे
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Amrita Tanmay
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पूरण खण्डेलवाल
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Shikha Kaushik
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धरती की चूनर .....डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
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HARSHVARDHAN
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गीतिका 'वेदिका'
मनोरमण छंद जो कि १६ मात्राओं से बनता है । बुन्देली
भाषा की प्रस्तुति आपके सम्मुख है
कहने में सकुचाय सुमनिया
पियो जो दारू प्यारे पिया
जले गृहस्थी संग जले जिया
दारू ने सर्वस्व है लिया
दवा नही रे है ये दारू
है ये सब घर बार बिगारु
बर्बादी पे भये उतारू
तुम नस्सू हम जीव जुझारू
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इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये मिलते हैं मंगलवार को आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ. शुभ विदा शुभ दिन. |
ब्लॉग प्रसारण पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!!!
ब्लॉग प्रसारण का उद्देश्य पाठकों तक विभिन्न प्रकार की रचनाएँ पहुँचाना एवं रचनाकारों से परिचय करवाना है. किसी प्रकार की समस्या एवं सुझाव के लिए इस पते पर लिखें. blogprasaran@gmail.com
Thursday, June 6, 2013
ब्लॉग प्रसारण अंक :18
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