"जय माता दी" अरुन की ओर से आप
सबको सादर प्रणाम . ब्लॉग प्रसारण में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
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रविकर
लम्बी चादर तान के, सोया था लिक्खाड़ ।
गुजरे झंझावात सौ, खेल खेत खिलवाड़ ।
खेल खेत खिलवाड़, गाँव की गर्मी झेली ।
रेप झेंप अपहरण, सताई गई सहेली ।
कैसे सह चुपचाप, पड़ा रह सकता रविकर ।
हुआ बड़ा यह पाप, छोड़ता लम्बी चादर ॥
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संजय भास्कर
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Anupama Tripathi
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Baban Pandey
अजी सुनिए..
आप चली गई ...
कोई बात नहीं प्लीज़.....
यादों का मिस कॉल मत भेजिए
क्योकि मेरा दिल Vibrate मोड में आ जाता है
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श्यामल सुमन
शेर पूछता आजकल, दिया कौन यह घाव ।
लगता है वन में सुमन, होगा पुनः चुनाव ।।
गलबाँही अब देखिये, साँप नेवले बीच ।
गद्दी पाने को सुमन, कौन ऊँच औ नीच ।।
मंदिर जाता भेड़िया, देख हिरण में जोश ।
साधु चीता अब सुमन, फुदक रहा खरगोश ।।
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Sadhana Vaid
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शिवनाथ कुमार
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Archana
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महेन्द्र श्रीवास्तव
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इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये मिलते हैं अगले मंगलवार को आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ. शुभ विदा शुभ दिन. |
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Tuesday, June 4, 2013
ब्लॉग प्रसारण अंक : 16
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