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Friday, October 4, 2013

कुछ कहना है

सभी मित्रों को मेरा नमस्कार!
आज कुछ दिक्कतें थीं जिनके चलते ये ध्यान ही नहीं रहा कि आज शुक्रवार है और मुझे पोस्ट लगानी है. अभी ध्यान आया तो तुरंत अपने काम पर लगा.
विलम्ब से आपके सामने उपस्थित हुआ हूँ इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
तो देखिये आज के कुछ लिंक्स-



प्रभु से जो डरकर चले, होय नहीं पथभ्रष्ट | 
 किन्तु दुष्ट रोमांच हित, चले बाँटते कष्ट ||1|| 
 "आकांक्षा के पर क़तर, तितर बितर कर...


जब तुम कहते रहते हो लगातार 
तो जी करता है कहूं बस करो, 
अब चुप भी रहो 
और जब थककर 
तुम क्‍लांत पड़ जाते हो 
बंद कर आंखें सोने का...


श्री राम का वाण लगा जाकर, 
नाभि का अमृत गया सूख, 
फिर कटे दश-आनन् एक एक कर, 
गिरा राम चरण में दम्भी -मूर्ख !


फूलों से लहू कैसे टपकता हुआ देखूँ 
आंखो को बुझा लूँ कि हक़ीक़त को बदल दूं 
हक़ की बात कहूंगा मगर ऐ जुर्रत-ऐ- इज़हार 
जो बात न कहनी हो वही...


उस चौराहे पर पड़ी 
वह स्त्री रो रही है 
बुरी तरह से उसका बलात्कार हुआ है 
कुछ देर पहले ...


...क्योंकि अब फेसबुक होती है ज़िंदगी. 
मिज़ाज बदलते हैं, 
स्टेटस बदल जाता है. 
कई अपने, कुछ पराये 
लाइक करते हैं कॉमेन्ट करते हैं...

छंदों की फुहार हैं भीगे अशआर हैं 
कहे कलम क्या; सृजन करूँ ? 
मैं ग़ज़ल लिखूँ  या गीत लिखूँ ? 
जो नित नए रंग बदलते हों पल पल में...


मेरे मन में वेदना है विस्मृत सी अर्चना है; 
आँखे ढकी हैं मेरी मुझे विश्व देखना है. 
नयनो पे है संकट पलकें गिरी हुई हैं; 
कुछ विम्ब भी न दिखत...


जिसके सिर पर हो सदा, माता का आशीष। 
वो ही तो कहलायगा, वाणी का वागीश।१। 
लेखन करती मातु हैं, मैं हूँ मात्र निमित्त।...


आज बस इतना ही!
नमस्कार!

8 comments:

  1. सुंदर है, श्रेष्ठ है

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  2. बहुत सुन्दर लिंक्स पढ़ने को मिले. धन्यवाद।

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  3. मनभावन लिंक मिले सुन्दर प्रसारण !!......मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

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  4. आदरणीय बृजेश भाई जी बेहद शानदार प्रसारण पठनीय सूत्र हार्दिक आभार आपका.

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  5. बहुत सुन्दर लिंक्स,हार्दिक आभार आपका.

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  6. सुन्दर प्रस्तुति
    नवरात्रि की शुभकामनायें-

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  7. सुन्दर सूत्रों के संकलन में अपनी रचना पाकर हर्षित हूँ ब्रजेश नीरज जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,अपने ब्लॉग पर अभी मेसेज देखा ,नवरात्रों की शुभकामनायें

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