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Thursday, July 18, 2013

ब्लॉग प्रसारण :अंक 59

सभी मित्रों को राजेंद्र कुमार की तरफ से सादर नमस्कार। एक बार हम सब फिर मिल रहें हैं आपसब के ब्लोगों के कुछ चुनिन्दा लिंकों के साथ,आशा है इन लिंकों पर आप अपने अनमोल विचार अवश्य प्रकट करेंगे। तो चलते है बिना देर किये आज के प्रसारण की तरफ .......


मिड डे मील से बच्चों की मौत पर ...

अमृता तन्मय 

ओ ! आसमान के रखवाले
तुम्हारे मौसम तक
जमीन को किया है
तुम्हारे ईमान के हवाले...


रविकर जी 


सिसकारे बिन सह गया, सत्तर सकल निशान |

उन घावों को था दिया, हमलावर अनजान |


यशोदा अग्रवाल 

हर एक बात पे कहते हो तुम कि 'तू क्या है'?

तुम्ही कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है
सतीश सक्सेना

मिसरा,मतला,मक्ता,रदीफ़,काफिया,ने खुद्दारी की थी ! 

हमने भी ग़ज़ल के दरवाजे,कुछ दिन पल्लेदारी की थी !

हैरान हुए, हर बार मिली, जब भी देखी , गागर खाली ! 

उसने ही, छेद किया यारो, जिसने चौकीदारी की थी !




माहेश्वरी जी 
फूल सी महको.काटों से भी प्यार हो
अँधेरी रात में दीया बन जलती रहो
(बेटी स्वाति को उसके जन्म दिन पर शुभकामनाएं)


अरविन्द मिश्रा

लंका निसिचर निकर निवासा। इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा।।
मन महुँ तरक करै कपि लागा। तेहीं समय बिभीषनु जागा।।
अना 

उन आँखों की कशिश को महसूस किया था मैंने 

नर्म प्यार का अहसास था मुझे 

जो गीत गुगुनाया था तुमने 

वो बोल भी भुलाया न गया मुझसे


शशि पुरवार 

प्रकृति की 
नैसर्गिक चित्रकारी पर
मानव ने खींच दी है
विनाशकारी लकीरे,
सूखने लगे है





अरुण कुमार जी 


गये   तुरंग  कहाँ  अस्तबल  के  देखते हैं
कहाँ से  आये गधे  हैं निकल के देखते हैं

सभी ने  ओढ़  रखी  खाल शेर की शायद
डरे - डरे से  सभी  दल  बदल  के देखते हैं

समयाभाव  के चलते आज इतना ही फिर मिलेंगे अगले सप्ताह तब तक लिए विदा।