नमस्कार मित्रों,
आज के इस ग्यारहवें अंक में आप सभी का मैं राजेंद्र कुमार आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज के प्रसारण में मैं अपनी पसंद के कुछ चुनिंदा लिंक्स लेकर आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूं।आशा है आप सब पहले की ही तरह अपना स्नेह बनाये रखेंगे,तो आइये एक नजर डालते है आज के प्रसारण की तरफ...
समझदार चप्पू
कुमार गौरव
चप्पू हिरण नंदनवन में अपने परिवार के साथ रहता था। वो एक बहादुर और समझदार छौना (हिरण का बच्चा) था। छुटपन में ही वो
बड़ी बुद्धिमानी की...
Annapurna Bajpai
आजकल हमारे मुख्यमंत्री जी काफी सुर्खियों मे है वे हर जगह लैप टॉप का लाली पॉप बांटते नजर आ रहे है।शायद कुछ चमचे टाइप लोगो को.......
सुशील यादव
मन तपा हर पल यादों में, छूकर देखो इन अंगारों को
हरा –भरा है बाग़ –बगीचा
अंतस की सूखी खेती है
हाथों से बस उम्रर फिसलती
मुठ्ठी –भर सांस की रेती है ...
मदन सक्सेना
ग़ज़ल
मेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी
जीवन के चौथेपन में अब ,बह सात समन्दर पार हुआ
अंत में एक अनमोल वचन को भी देख लें.
आज के प्रसारण को यहीं पर विराम देते हैं,इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये,मिलते हैं फिर से एक नए उमंग के साथ अगले गुरुवार को कुछ नये चुने हुए प्यारे लिंक्स के साथ. शुभ विदा शुभ दिन.