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मित्र - मंडली

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Friday, May 24, 2013

ब्लॉग प्रसारण-5


नमस्कार मित्रों,
आज के इस अंक में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज के अपने पहले प्रसारण में मैं अपनी पसंद के कुछ चुनिंदा लिंक्स लेकर आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूं।


रश्मि शर्मा 

उदासी की पहली कि‍स्‍त.... 
सारी रात की जागी आंखों ने 
भोर के उजाले में अपनी पलकें बंद की ही थी.........
कि तभी कानों में आवाज आई.....
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विचार: हिंद स्‍वराज्‍य-4
मनोज कुमार 

गांधी और गांधीवाद

 हिंद स्‍वराज्‍य- 4 स्वदेशी और ग्राम समाज 
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 एक बार तेरे शहर में आकर जो बस गया,    
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  झूठी संवेदना मत जताया करो:       
अरुण कुमार निगम   
                      
 झूठे   वादों   से    यूँ   न    लुभाया   करो 
वादा कर ही लिया   तो निभाया करो...
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फाइबर की जरूरत
राजेन्द्र कुमार

स्वास्थ्य चर्चा के क्रम में आज हम भोजन में फाइबर की उपयोगिता के बारे में चर्चा करेंगे.वैसे तो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अनेक तरह की 
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 "कहाँ गयी केशर क्यारी?"   
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

आज देश में उथल-पुथल क्यों , 

क्यों हैं भारतवासी आरत ? 
कहाँ खो गया रामराज्य , 
और गाँधी के सपनों का भारत ? 
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 मशीनी मानव !!:  
राजेश कुमारी 

बस पांच मिनट का पड़ाव    

उस स्टेशन पर   
देख रही हूँ उस पार किस तरह  
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चम्पक वन में दो सखियाँ:          
अदिति पूनम 
         
              चम्पक-वन में बैठ सखी संग ,             
 कहती सुनती कुछ मन की जीवन की    
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 नवगीत: पके पान झर गये:
नरेन्द्र शर्मा 

पके पान झर गये 

डाल पर नये पान आये 
पल्लव के धर देह नेह के 
नए प्रान आये । 
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 करनी का फल धरणी देगी  
कल्पना रामानी 

जीवन भर जिसने दी छाया , 
इन्सानों ने उसे मिटाया। 
काट काट कर डाली डाली , 
छलनी कर दी जड़ से काया। ...
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अंत में एक चित्र

अब बृजेश को आज्ञा दीजिए। अगले शुक्रवार को फिर भेंट होगी। 
तब तक के लिए नमस्कार!